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गुज़र जाती है रात।

मेरी रात गुजरती है, जब सुबह की पौ फूटती है।

मेरी खिड़की से छन छन, के आती हल्की सी रौशनी
और घड़ी की सुई छः पार करती है

बड़ा सुकून मिलता है के सोने के लिए जद्दोजहद का खात्मा हुआ
और एक नया दिन एक सुबह की शुरुआत होती है

मेरी रात गुजरती है जब सुबह की पौ फूटती है ।

सोने को तो मैं, जल्दी सो जाता हूं
मगर रात की नींद कई कई हिस्सों में बंटती है।

कभी कोई कभी कोई याद आता है
यह करना है यह कहना है बरसात लगी रहती है।

जानता हूं यह रिश्ते यह जिम्मेदारियां यह फकत जिंदगी तक हैं,
रात में क्यों इनकी याद आती है ।

मेरी रात गुजरती है जब सुबह की पौ फूटती है ।

नींद के वह छोटे छोटे सफर, क्या नियामत हैं,
कहां थे क्या हुआ, उस छोटे से सफर के हिस्से में
जब बाहर आते हैं तो कुछ भी नहीं याद आती है।

यह एक रूहानी इनाम है जो सब को अल्लाह ने दिया,

नींद का आना और मौत का आना एक है,
और फिर नई शुरुआत होती है ।

मेरी रात गुजरती है जब सुबह की पौ फूटती है।
जब सुबह की पौ फूटती है।…….

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